श्री शिव चालीसा लिरिक्स अर्थ सहित | Shiv Chalisa In Hindi Lyrics Arth Sahit

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श्री शिव चालीसा लिरिक्स अर्थ सहित (Shiv Chalisa In Hindi Lyrics Arth Sahit) -: , शिव चालीसा लिरिक्स के फायदे, श्री शिव चालीसा लिरिक्स पाठ, Shiv Chalisa Lyrics Benefits !

Shiv Chalisa In Hindi Lyrics Arth Sahit (श्री शिव चालीसा लिरिक्स अर्थ सहित )

श्री शिव चालीसा लिरिक्स अर्थ सहित (Shiv Chalisa In Hindi Lyrics Arth Sahit)

दोहा
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान !
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान !!

अर्थ – हे गिरिजा पुत्र भगवान श्री गणेश आपकी जय हो। आप मंगलकारी हैं, विद्वता के दाता हैं, अयोध्यादास की प्रार्थना है प्रभु कि आप ऐसा वरदान दें जिससे सारे भय समाप्त हो जांए !

चौपाई
जय गिरिजा पति दीन दयाला !
सदा करत सन्तन प्रतिपाला !!

अर्थ – हे गिरिजा पति हे, दीन हीन पर दया बरसाने वाले भगवान शिव आपकी जय हो, आप सदा संतो के प्रतिपालक रहे हैं !

भाल चन्द्रमा सोहत नीके !
कानन कुण्डल नागफनी के !!

अर्थ – आपके मस्तक पर छोटा सा चंद्रमा शोभायमान है, आपने कानों में नागफनी के कुंडल डाल रखें हैं !

अंग गौर शिर गंग बहाये !
मुण्डमाल तन क्षार लगाए !!

अर्थ – आपकी जटाओं से ही गंगा बहती है, आपके गले में मुंडमाल है !

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे !
छवि को देखि नाग मन मोहे !!

अर्थ – बाघ की खाल के वस्त्र भी आपके तन पर जंच रहे हैं। आपकी छवि को देखकर नाग भी आकर्षित होते हैं !

मैना मातु की हवे दुलारी !
बाम अंग सोहत छवि न्यारी !!

अर्थ – माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं !

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी !
करत सदा शत्रुन क्षयकारी !!

अर्थ – आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है !

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे !
सागर मध्य कमल हैं जैसे !!

अर्थ – आपके सानिध्य में नंदी व गणेश सागर के बीच खिले कमल के समान दिखाई देते हैं !

कार्तिक श्याम और गणराऊ !
या छवि को कहि जात न काऊ !!

अर्थ – कार्तिकेय व अन्य गणों की उपस्थिति से आपकी छवि ऐसी बनती है, जिसका वर्णन कोई नहीं कर सकता !

देवन जबहीं जाय पुकारा !
तब ही दुख प्रभु आप निवारा !!

अर्थ – हे भगवन, देवताओं ने जब भी आपको पुकारा है, तुरंत आपने उनके दुखों का निवारण किया !

किया उपद्रव तारक भारी !
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी !!

अर्थ – तारक जैसे राक्षस के उत्पात से परेशान देवताओं ने जब आपकी शरण ली, आपकी गुहार लगाई ! Shiv Chalisa In Hindi !

तुरत षडानन आप पठायउ !
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ !!

अर्थ – हे प्रभु आपने तुरंत तरकासुर को मारने के लिए षडानन (भगवान शिव व पार्वती के पुत्र कार्तिकेय) को भेजा !

आप जलंधर असुर संहारा !
सुयश तुम्हार विदित संसारा !!

अर्थ – आपने ही जलंधर (श्रीमद‍्देवी भागवत् पुराण के अनुसार भगवान शिव के तेज से ही जलंधर पैदा हुआ था) नामक असुर का संहार किया। आपके कल्याणकारी यश को पूरा संसार जानता है !

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई !
सबहिं कृपा कर लीन बचाई !!

अर्थ – हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की !

किया तपहिं भागीरथ भारी !
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी !!

अर्थ – हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया !

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं !
सेवक स्तुति करत सदाहीं !!

अर्थ – हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं !

वेद माहि महिमा तुम गाई !
अकथ अनादि भेद नहिं पाई !!

अर्थ – हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं !

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला !
जरत सुरासुर भए विहाला !!

अर्थ – हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे !

कीन्ही दया तहं करी सहाई !
नीलकण्ठ तब नाम कहाई !!

अर्थ – आपने ही सब पर मेहर बरसाते हुए इस विष को अपने कंठ में धारण किया जिससे आपका नाम नीलकंठ हुआ !

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा !
जीत के लंक विभीषण दीन्हा !!

अर्थ – हे नीलकंठ आपकी पूजा करके ही भगवान श्री रामचंद्र लंका को जीत कर उसे विभीषण को सौंपने में कामयाब हुए !

सहस कमल में हो रहे धारी !
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी !!

अर्थ – जब श्री राम मां शक्ति की पूजा कर रहे थे और सेवा में कमल अर्पण कर रहे थे, तो आपके ईशारे पर ही देवी ने उनकी परीक्षा ली थी !

एक कमल प्रभु राखेउ जोई !
कमल नयन पूजन चहं सोई !!

अर्थ – जब मां ने एक कमल को छुपा लिया। अपनी पूजा को पूरा करने के लिए राजीवनयन भगवान राम ने, कमल की जगह अपनी आंख से पूजा संपन्न करने की ठानी !

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर !
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर !!

अर्थ – श्री राम की ऐसी कठिन भक्ति देखकर आप प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छित वर प्रदान किया ! Shiv Chalisa In Hindi !

जय जय जय अनन्त अविनाशी !
करत कृपा सब के घटवासी !!

अर्थ – हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो !!

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै !
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै !!

अर्थ – हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती !

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो !
येहि अवसर मोहि आन उबारो !!

अर्थ – हे स्वामी, इस विनाशकारी स्थिति से मुझे उभार लो यही उचित अवसर। अर्थात जब मैं इस समय आपकी शरण में हूं, मुझे अपनी भक्ति में लीन कर मुझे मोहमाया से मुक्ति दिलाओ, सांसारिक कष्टों से उभारों !

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो !
संकट ते मोहि आन उबारो !!

अर्थ – अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश कर दो। हे भोलेनाथ, आकर मुझे इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ !

मात-पिता भ्राता सब होई !
संकट में पूछत नहिं कोई !!

अर्थ – हे प्रभु वैसे तो जगत के नातों में माता-पिता, भाई-बंधु, नाते-रिश्तेदार सब होते हैं, लेकिन विपदा पड़ने पर कोई भी साथ नहीं देता !

स्वामी एक है आस तुम्हारी !
आय हरहु मम संकट भारी !!

अर्थ – हे स्वामी, बस आपकी ही आस है, आकर मेरे संकटों को हर लो !

धन निर्धन को देत सदा हीं !
जो कोई जांचे सो फल पाहीं !!

अर्थ – आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया है !

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी !
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी !!

अर्थ – हम आपकी स्तुति, आपकी प्रार्थना किस विधि से करें अर्थात हम अज्ञानी है प्रभु, अगर आपकी पूजा करने में कोई चूक हुई हो तो हे स्वामी, हमें क्षमा कर देना !

शंकर हो संकट के नाशन !
मंगल कारण विघ्न विनाशन !!

अर्थ – हे शिव शंकर आप तो संकटों का नाश करने वाले हो, भक्तों का कल्याण व बाधाओं को दूर करने वाले हो !

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं !
शारद नारद शीश नवावैं !!

अर्थ – योगी यति ऋषि मुनि सभी आपका ध्यान लगाते हैं। शारद नारद सभी आपको शीश नवाते हैं !

नमो नमो जय नमः शिवाय !
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय !!

अर्थ – हे भोलेनाथ आपको नमन है। जिसका ब्रह्मा आदि देवता भी भेद न जान सके, हे शिव आपकी जय हो !

जो यह पाठ करे मन लाई !
ता पर होत है शम्भु सहाई !!

अर्थ – जो भी इस पाठ को मन लगाकर करेगा, शिव शम्भु उनकी रक्षा करेंगें, आपकी कृपा उन पर बरसेगी !

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी !
पाठ करे सो पावन हारी !!

अर्थ – पवित्र मन से इस पाठ को करने से भगवान शिव कर्ज में डूबे को भी समृद्ध बना देते हैं !

पुत्र होन कर इच्छा जोई !
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई !!

अर्थ – यदि कोई संतान हीन हो तो उसकी इच्छा को भी भगवान शिव का प्रसाद निश्चित रुप से मिलता है !

पण्डित त्रयोदशी को लावे !
ध्यान पूर्वक होम करावे !!

अर्थ – त्रयोदशी (चंद्रमास का तेरहवां दिन त्रयोदशी कहलाता है, हर चंद्रमास में दो त्रयोदशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में व एक शुक्ल पक्ष में) को पंडित बुलाकर हवन करवाने !

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा !
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥

अर्थ – ध्यान करने और व्रत रखने से किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं रहता !

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे !
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे !!

अर्थ – जो कोई भी धूप, दीप, नैवेद्य चढाकर भगवान शंकर के सामने इस पाठ को सुनाता है !

जन्म जन्म के पाप नसावे !
अन्त धाम शिवपुर में पावे !!

अर्थ – भगवान भोलेनाथ उसके जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करते हैं। अंतकाल में भगवान शिव के धाम शिवपुर अर्थात स्वर्ग की प्राप्ति होती है, उसे मोक्ष मिलता है !

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी !
जानि सकल दुःख हरहु हमारी !!

अर्थ – अयोध्यादास को प्रभु आपकी आस है, आप तो सबकुछ जानते हैं, इसलिए हमारे सारे दुख दूर करो भगवन !

॥ दोहा ॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा !
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश !!
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान !
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण !!

अर्थ – हर रोज नियम से उठकर प्रात:काल में इस चालीसा का पाठ करें और भगवान भोलेनाथ जो इस जगत के ईश्वर हैं, उनसे अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करें !
संवत 64 में मंगसिर मास की छठि तिथि और हेमंत ऋतु के समय में भगवान शिव की स्तुति में यह चालीसा लोगों के कल्याण के लिए पूर्ण की गई !

श्री शिव चालीसा लिरिक्स पाठ (Shiv Chalisa In Hindi Lyrics)

दोहा
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान !
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान !!

चौपाई
जय गिरिजा पति दीन दयाला !
सदा करत सन्तन प्रतिपाला !!
भाल चन्द्रमा सोहत नीके !
कानन कुण्डल नागफनी के !!

अंग गौर शिर गंग बहाये !
मुण्डमाल तन क्षार लगाए !!
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे !
छवि को देखि नाग मन मोहे !!

मैना मातु की हवे दुलारी !
बाम अंग सोहत छवि न्यारी !!
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी !
करत सदा शत्रुन क्षयकारी !!

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे !
सागर मध्य कमल हैं जैसे !!
कार्तिक श्याम और गणराऊ !
या छवि को कहि जात न काऊ !!

देवन जबहीं जाय पुकारा !
तब ही दुख प्रभु आप निवारा !!
किया उपद्रव तारक भारी !
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी !!

तुरत षडानन आप पठायउ !
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ !!
आप जलंधर असुर संहारा !
सुयश तुम्हार विदित संसारा !!

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई !
सबहिं कृपा कर लीन बचाई !!
किया तपहिं भागीरथ भारी !
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी !!

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं !
सेवक स्तुति करत सदाहीं !!
वेद माहि महिमा तुम गाई !
अकथ अनादि भेद नहिं पाई !!

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला !
जरत सुरासुर भए विहाला !!
कीन्ही दया तहं करी सहाई !
नीलकण्ठ तब नाम कहाई !!

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा !
जीत के लंक विभीषण दीन्हा !!
सहस कमल में हो रहे धारी !
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी !!

एक कमल प्रभु राखेउ जोई !
कमल नयन पूजन चहं सोई !!
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर !
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर !!

जय जय जय अनन्त अविनाशी !
करत कृपा सब के घटवासी !!
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै !
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै !!

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो !
येहि अवसर मोहि आन उबारो !!
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो !
संकट ते मोहि आन उबारो !!

मात-पिता भ्राता सब होई !
संकट में पूछत नहिं कोई !!
स्वामी एक है आस तुम्हारी !
आय हरहु मम संकट भारी !!

धन निर्धन को देत सदा हीं !
जो कोई जांचे सो फल पाहीं !!
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी !
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी !!

शंकर हो संकट के नाशन !
मंगल कारण विघ्न विनाशन !!
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं !
शारद नारद शीश नवावैं !!

नमो नमो जय नमः शिवाय !
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय !!
जो यह पाठ करे मन लाई !
ता पर होत है शम्भु सहाई !!

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी !
पाठ करे सो पावन हारी !!
पुत्र होन कर इच्छा जोई !
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई !!

पण्डित त्रयोदशी को लावे !
ध्यान पूर्वक होम करावे !!
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा !
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे !
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे !!
जन्म जन्म के पाप नसावे !
अन्त धाम शिवपुर में पावे !!

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी !
जानि सकल दुःख हरहु हमारी !!

॥ दोहा ॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा !
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश !!
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान !
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण !!

शिव चालीसा लिरिक्स के फायदे (Shiv Chalisa Lyrics Benefits)

  • शिव चालीसा लिरिक्स का पाठ करने से डर या भर से भी छुटकारा मिलता है !
  • शिव चालीसा लिरिक्स के पाठ से मिलता है अच्छा वर !
  • शिव चालीसा लिरिक्स का पाठ करने से गर्भवती महिलाओं के बच्चे की रक्षा होती है !
  • शिव चालीसा का पाठ करने से नशे की लत और तनाव से छुटकारा मिलता है !
  • शिव चालीसा का पाठ करने से धन आगमन होता है !
  • शिव चालीसा पाठ से शत्रुओं से छुटकारा मिलता है ! Shiv Chalisa In Hindi !
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