श्री गायत्री चालीसा लिरिक्स अर्थ सहित | Shri Gayatri Chalisa Lyrics Meaning In Hindi

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श्री गायत्री चालीसा लिरिक्स अर्थ सहित (Shri Gayatri Chalisa Lyrics Meaning In Hindi) – गायत्री चालीसा लिरिक्स के लाभ, Gayatri Chalisa Lyrics Ke Fayde !

Shri Gayatri Chalisa Lyrics Meaning In Hindi (श्री गायत्री चालीसा लिरिक्स अर्थ सहित)
Shri Gayatri Chalisa Lyrics Meaning In Hindi

श्री गायत्री चालीसा लिरिक्स अर्थ सहित (Shri Gayatri Chalisa Lyrics Meaning In Hindi)

दोहा
ह्रीं श्रीं क्लीं मेधा प्रभा जीवन ज्योति प्रचंड !
शांति कांति जागृत प्रगति रचना शक्ति अखंड !!
जगत जननी मंगल करनि गायत्री सुखधाम !
प्रणवों सावित्री स्वधा स्वाहा पूरन काम !!

अर्थ – हे मां गायत्री आप शिव की तरह कल्याणकारी हैं इसलिए मेरे दुखों का हरण करें, आप ही संसार की समस्त दरिद्रता को दूर करने वाली हैं, हे मां मेरी दरिद्रता को दूर करें, हे मां आप ही योगमाया हैं इसलिए मेरे कष्टों का निवारण करें !
हे मां जीवन में ज्ञान रुपी ज्योति आपकी कृपा से ही जल सकती है। आप ही शांति हैं, आप से ही जीवन में रौनक है, आप ही परिवर्तन, जागरण, विकास व रचनात्मकता की अखंड शक्ति हैं !
हे मां गायत्री आप सुखों का पवित्र स्थल हैं, आप कल्याणकारी हैं व इस संसार की जननी भी आप ही हैं !
आपका स्मरण, आपका ध्यान, आपका जाप ओश्म् की तरह ईश्वर की साधना के लिए किया जाता है व आपके जाप से सारे काम पूर्ण होते हैं और विघ्नों का नाश हो जाता है !

चौपाई
भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी । गायत्री नित कलिमल दहनी !
अक्षर चौबीस परम पुनीता । इनमें बसें शास्त्र श्रुति गीता !!

अर्थ – हे प्राणस्वरुप दुखनाशक सुख स्वरुप गायत्री मां परमात्मा के साथ मिलकर तीनों लोकों की जननी आप ही हैं। हे गायत्री मां आप इस कलियुग में पापों का दलन करती हैं !
आपके मंत्र के 24 अक्षर सबसे पवित्र हैं। इन चौबीस अक्षरों में सभी वेद शास्त्र श्रुतियों व गीता का ज्ञान समाया हुआ है !

शाश्वत सतोगुणी सत रूपा । सत्य सनातन सुधा अनूपा !
हंसारूढ श्वेतांबर धारी । स्वर्ण कांति शुचि गगन-बिहारी !!

अर्थ – आप सदा से सतोगुणी सत्य का रुप हैं। आप हमेशा से सत्य का अनूठा अमृत हैं !
आप श्वेत वस्त्रों को धारण कर हंस पर सवार हैं, आपकी कान्ति अर्थात आपकी चमक स्वर्ण यानि सोने की तरह पवित्र हैं व आप आकाश में भ्रमण करती हैं !

पुस्तक पुष्प कमंडलु माला । शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला !
ध्यान धरत पुलकित हित होई । सुख उपजत दुख दुर्मति खोई !!

अर्थ – आपके हाथों में पुस्तक, फूल, कमण्डल और माला हैं आपके तन का रंग श्वेत है व आपकी बड़ी बड़ी आखें भी सुंदर लग रही हैं !
हे मां गायत्री आपका ध्यान धरते ही हृद्य अति आनंदित हो जाता है, दुखों व दुर्बुधि का नाश होकर सुख की प्राप्ति होती है !!

कामधेनु तुम सुर तरु छाया । निराकार की अद्भुत माया !
तुम्हरी शरण गहै जो कोई । तरै सकल संकट सों सोई !!

अर्थ – हे मां आप कामधेनु गाय की तरह समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करती हो आपकी शरण में देववृक्ष कल्पतरु की छाया के समान सुख मिलता है। आप निराकार भगवान की अद्भुत माया हैं !
आपकी शरण में जो कोई भी आता है, वह सारे संकटों से पार पा लेता है अर्थात उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं !!

सरस्वती लक्ष्मी तुम काली । दिपै तुम्हारी ज्योति निराली !
तुम्हरी महिमा पार न पावैं । जो शारद शत मुख गुन गावैं !!

अर्थ – आप सरस्वती, लक्ष्मी और काली का रुप हैं। आपकी दीप ज्योति सबसे निराली है !
हे मां यदि मां सरस्वती के सौ मुखों से भी कोई आपका गुणगान करता है तो भी वह आपकी महिमा का पार नहीं पा सकता अर्थात वह आपकी महिमा का पूरा गुणगान नहीं कर सकता !

चार वेद की मात पुनीता । तुम ब्रह्माणी गौरी सीता !
महामंत्र जितने जग माहीं । कोउ गायत्री सम नाहीं !!

अर्थ – हे मां आप ही चारों वेदों की जननी हैं, आप ही भगवान ब्रह्मा की पत्नी ब्रह्माणी हैं, आप ही मां पार्वती हैं, आप ही मां सीता हैं !
संसार में जितने भी महामंत्र हैं, कोई भी गायत्री मंत्र के समान नहीं हैं अर्थात गायत्री मंत्र ही सर्वश्रेष्ठ मंत्र है !

सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै । आलस पाप अविद्या नासै !
सृष्टि बीज जग जननि भवानी । कालरात्रि वरदा कल्याणी !!

अर्थ – आपके मंत्र का स्मरण करते ही हृद्य में ज्ञान का प्रकाश हो जाता है व आलस्य, पाप व अविद्या अर्थात अज्ञानता का नाश हो जाता है !
आप ही सृष्टि का बीज मंत्र हैं जगत को जन्म देने वाली मां भवानी भी आप ही हैं, अतिंम समय में कल्याण भी हे गायत्री मां आप ही करती हैं !!

ब्रह्मा विष्णु रुद्र सुर जेते । तुम सों पावें सुरता तेते !
तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे । जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे !!

अर्थ – भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव के साथ-साथ जितने भी देवी देवता हैं, सभी अपना देवत्व आपसे ही प्राप्त करते हैं !
जो भक्त आपकी भक्ति करते हैं, आप हमेशा उनके साथ रहती हैं। जिस प्रकार मां को अपनी संतान प्राणों से प्यारी होती है, उसी प्रकार आपको भी अपने भक्त प्राणों से प्यारे हैं !!

महिमा अपरम्पार तुम्हारी । जय जय जय त्रिपदा भयहारी !
पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना । तुम सम अधिक न जगमें आना !!

अर्थ – आपकी महिमा तो अपरंपार है। हे त्रिपदा भय का हरण करने वाली गायत्री मां आपकी जय हो, जय हो, जय हो !
आपने ने संसार में ज्ञान व विज्ञान की अलख जगाई अर्थात संसार के सारे ज्ञान विज्ञान एवं आध्यात्मिक ज्ञान आपने ही पिरोए हैं। पूरे ब्रह्मांड में कोई भी आपसे श्रेष्ठ नहीं है !!

तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा । तुमहिं पाय कछु रहै न क्लेसा !
जानत तुमहिं तुमहिं व्है जाई । पारस परसि कुधातु सुहाई !!

अर्थ – आपको जानने के बाद कुछ भी जानना शेष नहीं रहता, ना ही आपको पाने के बाद किसी तरह का दुख किसी तरह का क्लेश जीवन में रहता है !
आपको जानने के बाद वह आपका ही रुप हो जाता है जिस प्रकार पारस के संपर्क आने से लोहा भी सोना हो जाता है !!

तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई । माता तुम सब ठौर समाई !
ग्रह नक्षत्र ब्रह्मांड घनेरे । सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे !!

अर्थ – आपकी शक्ति हर और आलोकित है, प्रकाशमान हैं, आप सर्वत्र विद्यमान हैं !
ब्रह्माण्ड में बहुत सारे ग्रह हैं, नक्षत्र हैं ये सब आपकी प्रेरणा, आपकी कृपा, आपके कारण ही गतिशील हैं !!

सकल सृष्टि की प्राण विधाता । पालक पोषक नाशक त्राता !
मातेश्वरी दया व्रत धारी । तुम सन तरे पातकी भारी !!

अर्थ – आप समस्त सृष्टि में प्राणों का विधान करने वाली हैं, अर्थात सृष्टि को प्राण तत्व आपने ही प्रदान किया है। पालन पोषण से लेकर नष्ट करने वाली भी तुम्हीं हो !
हें मां आपका व्रत धारण करने वालों पर आप दया करती हैं व पापी से पापी प्राणी को भी मुक्ति दिलाती हैं !!

जापर कृपा तुम्हारी होई । तापर कृपा करें सब कोई !
मंद बुद्धि ते बुधि बल पावें । रोगी रोग रहित हो जावें !!

अर्थ – जिस पर भी आपकी कृपा होती है उस पर सभी कृपा करते हैं !
हे मां गायत्री आपके जाप से मंद बुद्धि, बुद्धि बल प्राप्त करते हैं तो रोगियों के रोग दूर हो जाते हैं। दरिद्रता के साथ-साथ तमाम पीड़ाएं कट जाती हैं !!

दरिद्र मिटै कटै सब पीरा । नाशै दुख हरै भव भीरा !
गृह क्लेश चित चिंता भारी । नासै गायत्री भय हारी !!

अर्थ – आपके जप से ही दुखों व चिंताओं का नाश हो जाता है, आप हर प्रकार के भय का हरण कर लेती हैं !
यदि किसी के घर में अशांति रहती है, झगड़े होते रहते हैं, गायत्री मंत्र जाप करने से उनके संकट भी कट जाते हैं !!

संतति हीन सुसंतति पावें । सुख संपति युत मोद मनावें !
भूत पिशाच सबै भय खावें । यम के दूत निकट नहिं आवें !!

अर्थ – संतान हीन भी अच्छी संतान प्राप्त करते हैं व सुख समृद्धि के साथ खुशहाल जीवन जीते हैं !
आप भूत पिशाच सब प्रकार के भय से छुटकारा दिलाती हैं व अंतिम समय में भी यम के दूत उसके निकट नहीं आते अर्थात जो आपका जाप करता है उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है !!

जो सधवा सुमिरें चित लाई । अछत सुहाग सदा सुखदाई !
घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी । विधवा रहें सत्य व्रत धारी !!

अर्थ – जो सुहागनें ध्यान लगाकर आपका स्मरण करती हैं, उनका सुहाग सदा सुरक्षित रहता है, उन्हें सदा सुख मिलता है !
जो कुवांरियां आपका ध्यान लगाती हैं उन्हें सुयोग्य वर प्राप्त होता है। आपके जाप से विधवाओं को सत्य व्रत धारण करने की शक्ति मिलती है !!

जयति जयति जगदंब भवानी । तुम सम ओर दयालु न दानी !
जो सतगुरु सो दीक्षा पावे । सो साधन को सफल बनावे !!

अर्थ – हे मां जगदंबे, हे मां भवानी आपकी जय हो, आपकी जय हो। आपके समान और दूसरा कोई भी दयालु व दानी नहीं है !
जो सच्चे गुरु से दीक्षा प्राप्त करता है वह आपके जप से अपनी साधना को सफल बनाता है !!

सुमिरन करे सुरूचि बडभागी । लहै मनोरथ गृही विरागी !
अष्ट सिद्धि नवनिधि की दाता । सब समर्थ गायत्री माता !!

अर्थ – आपका सुमिरन व आपमें जो रुचि लेता है वह बहुत ही भाग्यशाली होता है। गृहस्थ से लेकर सन्यासी तक हर कोई आपका जाप कर अपनी मनोकामनाएं पूरी करता है !
हे गायत्री मां आप आठों सिद्धियां नौ निधियों की दाता हैं, आप हर मनोकामना को पूर्ण करने में समर्थ हैं !!

ऋषि मुनि यती तपस्वी योगी । आरत अर्थी चिंतित भोगी !
जो जो शरण तुम्हारी आवें । सो सो मन वांछित फल पावें !!

अर्थ – ऋषि, मुनि, यति, तपस्वी, योगी, राजा, गरीब, या फिर चिंता का सताया हुआ !
कोई भी आपकी शरण में आता है तो उसे इच्छानुसार फल की प्राप्ति होती है !!

बल बुधि विद्या शील स्वभाउ । धन वैभव यश तेज उछाउ !
सकल बढें उपजें सुख नाना । जे यह पाठ करै धरि ध्याना !!

अर्थ – जो भी आपका ध्यान लगाता है उसे बल, बुद्धि, विद्या, शांत स्वभाव तो मिलता ही है साथ ही उनके धन, समृद्धि, प्रसिद्धि में तेजी से बढ़ोतरी होती है !
जो भी आपका ध्यान धर कर यह पाठ करता है उसे कई प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है व उसका वैभव हर प्रकार से बढ़ता है !!

दोहा
यह चालीसा भक्ति युत पाठ करै जो कोई !
तापर कृपा प्रसन्नता गायत्री की होय !!

अर्थ – पूरी भक्ति के साथ जो भी इस चालीसा का पाठ करेगा !
उस पर मां गायत्री प्रसन्न होकर कृपा करती हैं !!

श्री गायत्री चालीसा लिरिक्स (Shri Gayatri Chalisa Lyrics)

दोहा
ह्रीं श्रीं क्लीं मेधा प्रभा जीवन ज्योति प्रचंड !
शांति कांति जागृत प्रगति रचना शक्ति अखंड !!
जगत जननी मंगल करनि गायत्री सुखधाम !
प्रणवों सावित्री स्वधा स्वाहा पूरन काम !!

चौपाई
भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी । गायत्री नित कलिमल दहनी !
अक्षर चौबीस परम पुनीता । इनमें बसें शास्त्र श्रुति गीता !!
शाश्वत सतोगुणी सत रूपा । सत्य सनातन सुधा अनूपा !
हंसारूढ श्वेतांबर धारी । स्वर्ण कांति शुचि गगन-बिहारी !!

पुस्तक पुष्प कमंडलु माला । शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला !
ध्यान धरत पुलकित हित होई । सुख उपजत दुख दुर्मति खोई !!
कामधेनु तुम सुर तरु छाया । निराकार की अद्भुत माया !
तुम्हरी शरण गहै जो कोई । तरै सकल संकट सों सोई !!

सरस्वती लक्ष्मी तुम काली । दिपै तुम्हारी ज्योति निराली !
तुम्हरी महिमा पार न पावैं । जो शारद शत मुख गुन गावैं !!
चार वेद की मात पुनीता । तुम ब्रह्माणी गौरी सीता !
महामंत्र जितने जग माहीं । कोउ गायत्री सम नाहीं !!

सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै । आलस पाप अविद्या नासै !
सृष्टि बीज जग जननि भवानी । कालरात्रि वरदा कल्याणी !!
ब्रह्मा विष्णु रुद्र सुर जेते । तुम सों पावें सुरता तेते !
तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे । जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे !!

महिमा अपरम्पार तुम्हारी । जय जय जय त्रिपदा भयहारी !
पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना । तुम सम अधिक न जगमें आना !!
तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा । तुमहिं पाय कछु रहै न क्लेसा !
जानत तुमहिं तुमहिं व्है जाई । पारस परसि कुधातु सुहाई !!

तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई । माता तुम सब ठौर समाई !
ग्रह नक्षत्र ब्रह्मांड घनेरे । सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे !!
सकल सृष्टि की प्राण विधाता । पालक पोषक नाशक त्राता !
मातेश्वरी दया व्रत धारी । तुम सन तरे पातकी भारी !!

जापर कृपा तुम्हारी होई । तापर कृपा करें सब कोई !
मंद बुद्धि ते बुधि बल पावें । रोगी रोग रहित हो जावें !!
दरिद्र मिटै कटै सब पीरा । नाशै दुख हरै भव भीरा !
गृह क्लेश चित चिंता भारी । नासै गायत्री भय हारी !!

संतति हीन सुसंतति पावें । सुख संपति युत मोद मनावें !
भूत पिशाच सबै भय खावें । यम के दूत निकट नहिं आवें !!
जो सधवा सुमिरें चित लाई । अछत सुहाग सदा सुखदाई !
घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी । विधवा रहें सत्य व्रत धारी !!

जयति जयति जगदंब भवानी । तुम सम ओर दयालु न दानी !
जो सतगुरु सो दीक्षा पावे । सो साधन को सफल बनावे !!
सुमिरन करे सुरूचि बडभागी । लहै मनोरथ गृही विरागी !
अष्ट सिद्धि नवनिधि की दाता । सब समर्थ गायत्री माता !!

ऋषि मुनि यती तपस्वी योगी । आरत अर्थी चिंतित भोगी !
जो जो शरण तुम्हारी आवें । सो सो मन वांछित फल पावें !!
बल बुधि विद्या शील स्वभाउ । धन वैभव यश तेज उछाउ !
सकल बढें उपजें सुख नाना । जे यह पाठ करै धरि ध्याना !!

दोहा
यह चालीसा भक्ति युत पाठ करै जो कोई !
तापर कृपा प्रसन्नता गायत्री की होय !!

Shri Gayatri Chalisa Lyrics In English

Doha
Hreem Shreem Klin Medha Prabha Jyoti Prachand !
Shanty Kaanti Jagrit Pragati Rachana Shakti Akhand !!
Jagat Janani Mangal Karani Gayatri Sukh Dhaam !
Pranavon Savitri Swadha Swaaha Puran Kaam !!

Chaupai
Bhurbhuvah Swah Om Yut Janani, Gayatri Nit Kalimal Dahani !!
Akshar Chaubis Param Punita, Iname Basen Shastra Shruti Gita ||
Shashwat Satoguni Saat Roopa, Satya Sanatan Sudha Anupa !
Hansarudh Sitambar Dhaari, Swarn Kaanti Shuchi Gagan Vihaari !!

Pustak Pushp Kamandalu Mala, Shubh Varn Tanu Nayan Vishalaa !
Dhyan Dharat Pulkit Hit Hoi, Sukh Upajat Dukh Durmati Khoi !!
Kaamdhenu Tum Sur Taru Chhaya, Nirakaar Ki Adbhut Maya !
Tumhari Sharan Gahai Jo Koi, Tarai Sakal Sankat So Soyi !!

Saraswati Lakshmi Tum Kaali, Dipai Tumhari Jyoti Niraali !
Tumhari Mahima Paar N Pavai, Jo Sharad Shat Much Gun Gaavai !!
Char Ved Ki Maat Punita, Tum Brahmani Gauri Sita !
Mahamantra Jitane Jag Mahin, Kou Gayatri Sam Naahin !!

Sumirat Hiy Mein Gyan Prakasai, Aalas Paap Avidya Naasai !
Srishti Beej Jag Janani Bhawani, Kaalraatri Varada Kalyani !!
Brahma Vishnu Roodra Sur Jete, Tum So Paaven Surata Tete !
Tum Bhaktan Ki Bhakt Tumhare, Jananihin Putra Praan Te Pyare !!

Mahima Aparampaar Tumhari, Jay Jay Jay Tripada Bhayhaari !
Purit Sakal Gyan Vigyana, Tum Sam Adhik N Jagme Aana !!
Tumhin Jaani Kachhu Rahai N Shesha, Tumhin Pay Kachhu Rahai N Kleshaa !
Janat Tumhin Tumhin Vhai Jaai, Paras Parasi Kudhatu Suhaai !!

Tumhari Shakti Dipai Sab Thaai, Mata Tum Sab Thaur Samaai !
Grah Nakshatra Brahmand Ghanere, Sab Gativaan Tumhare Prere !!
Sakal Srishti Ki Praan Vidhaata, Paalak Poshak Naashak Traata !
Mateshwari Daya Vrat Dhaari, Tum San Tare Paataki Bhaari !!

Jaapar Kripa Tumhari Hoi, Taapar Kripa Karein Sab Koi !
Mand Buddhi Te Budhi Bal Paaven, Rogi Rog Rahit Ho Jaaven !!
Daridra Mitai Katai Sab Peera, Naasai Dukh Harai Bhav Bheera !
Grih Klesh Chit Chinta Bhaari, Naasai Gayatri Bhay Haari !!

Santati Hin Susantati Paaven, Sukh Sampati Yut Mod Manaven !
Bhoot Pishaach Sabai Bhay Khaaven, Yam Ke Doot Nikat Nahin Aaven !!
Jo Sadhavaa Sumiren Chit Laai, Achhat Suhaag Sada Sukh Daai !
Ghar Var Sukh Prad Lahain Kumaari, Vidhavaa Rahai Satya Vrat Dhaari !!

Jayati Kaayati Jagdamb Bhavani, Tum Sam Or Dayalu N Daani !
Jo Satguru So Deeksha Paaven, So Sadhan Ko Safal Banaave !!
Sumiran Kare Suruchi Badbhaagi, Lahai Manorath Grihi Virago !
Asht Siddhi Nav Nidhi Ki Data, Sab Samarth Gayatri Mata !!

Rishi Muni Yati Tapasvi Yogi, So So Man Vaanchhit Fal Paaven !
Bal Buddhi Vidya Shil Swabhaau, Dhan Vaibhav Yash Tej Uchhau !!
Sakal Badhe Upajen Sukh Nana, Je Yah Path Karai Dhari Dhyaana !

Doha
Yah Chalisa Bhakti Yut Path Kare Jo Koi !
Taapaar Kripa Prasanta Gayatri Ki Hoy !!

गायत्री चालीसा लिरिक्स के लाभ (Gayatri Chalisa Lyrics Ke Fayde)

  • गायत्री चालीसा (Shri Gayatri Chalisa) के पाठ से भय से मुक्ति मिलती है !
  • गायत्री चालीसा के पाठ से मन में शांत होता है !
  • गायत्री चालीसा के पाठ से घर में, सुख-शांति का आगमन होता है !
  • गायत्री चालीसा के पाठ से साहस व सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है !
  • गायत्री चालीसा के नियमित पाठ से अज्ञानता का नाश होता है !
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