श्री राम चालीसा लिरिक्स अर्थ सहित | Shri Ram Chalisa In Hindi Lyrics Arth Sahit

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श्री राम चालीसा लिरिक्स अर्थ सहित (Shri Ram Chalisa In Hindi Arth Sahit) – राम चालीसा पढ़ने के फायदे, Shri Ram Chalisa Benefits.

Shri Ram Chalisa In Hindi Arth Sahit (श्री राम चालीसा लिरिक्स अर्थ सहित )
Shri Ram Chalisa In Hindi Lyrics Arth Sahit

श्री राम चालीसा लिरिक्स अर्थ सहित (Shri Ram Chalisa In Hindi Arth Sahit)

दोहा
आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं !
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं !!
बाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम् !
पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं !!

चौपाई
श्री रघुबीर भक्त हितकारी !
सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी !!
निशि दिन ध्यान धरै जो कोई !
ता सम भक्त और नहीं होई !!

अर्थ – हे रघुबीर, भक्तों का कल्याण करने वाले हे भगवान श्री राम हमारी प्रार्थना सुन लिजिये !
हे प्रभु जो दिन रात केवल आपका ध्यान धरता है अर्थात हर समय आपका स्मरण करता है, उसके समान दूसरा भक्त कोई नहीं है !

ध्यान धरें शिवजी मन मांही !
ब्रह्मा, इन्द्र पार नहीं पाहीं !!
दूत तुम्हार वीर हनुमाना !
जासु प्रभाव तिहुं पुर जाना !!

अर्थ – भगवान शिव भी मन ही मन आपका ध्यान करते हैं, ब्रह्मा, इंद्र आदि भी आपकी लीला को पूरी तरह नहीं जान सके !
आपके दूत वीर हनुमान हैं तीनों लोकों में जिनके प्रभाव को सब जानते हैं !

जय, जय, जय रघुनाथ कृपाला !
सदा करो संतन प्रतिपाला !!
तुव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला !
रावण मारि सुरन प्रतिपाला !!

अर्थ – हे कृपालु रघुनाथ सदा संतो का प्रतिपालक श्री राम आपकी जय हो, जय हो, जय हो !
हे प्रभु आपकी भुजाओं में अपार शक्ति है लेकिन इनसे हमेशा कल्याण हुआ है, अर्थात आपने हमेशा अपनी कृपा बरसाई है। हे देवताओं के प्रतिपालक भगवान श्री राम आपने ही रावण जैसे दुष्ट को मारा !

तुम अनाथ के नाथ गोसाईं !
दीनन के हो सदा सहाई !!
ब्रह्मादिक तव पार न पावैं !
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं !!

अर्थ – हे प्रभु हे स्वामी जिसका कोई नहीं हैं उसका दामन आप ही थामते हैं, अर्थात आप ही उसके स्वामी हैं, आपने हमेशा दीन-दुखियों का कल्याण किया है !
ब्रह्मा आदि भी आपका पार नहीं पा सके, स्वयं ईश्वर भी आपकी कीर्ति का गुणगान करते हैं !

चारिउ भेद भरत हैं साखी !
तुम भक्तन की लज्जा राखी !!
गुण गावत शारद मन माहीं !
सुरपति ताको पार न पाहिं !!

अर्थ – आपने हमेशा अपने भक्तों का मान रखा है प्रभु, चारों वेद भी इसके साक्षी हैं !
हे प्रभु शारदे मां भी मन ही मन आपका स्मरण करती हैं। देवराज इंद्र भी आपकी महिमा का पार न पा सके !

नाम तुम्हार लेत जो कोई !
ता सम धन्य और नहीं होई !!
राम नाम है अपरम्पारा !
चारिहु वेदन जाहि पुकारा !!

अर्थ – जो भी आपका नाम लेता है, उसके समान धन्य और कोई भी नहीं है !
हे श्री राम आपका नाम अपरम्पार है, चारों वेदों ने पुकार-पुकार कर इसका ही बखान किया है। अर्थात चारों वेद आपकी महिमा को अपम्पार मानते हैं !

गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो !
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो !!
शेष रटत नित नाम तुम्हारा !
महि को भार शीश पर धारा !!

अर्थ – भगवान श्री गणेश ने भी आपके नाम का स्मरण किया, सबसे पहले उन्हें पूजनीय आपने ही बनाया !
शेषनाग भी हमेशा आपके नाम का जाप करते हैं जिससे वे पृथ्वी के भार को अपने सिर पर धारण करने में सक्षम हुए हैं !

फूल समान रहत सो भारा !
पावत कोऊ न तुम्हरो पारा !!
भरत नाम तुम्हरो उर धारो !
तासों कबहूं न रण में हारो !!

अर्थ – आपके स्मरण से बड़े से बड़ा भार भी फूल के समान लगता है। हे प्रभु आपका पार कोई नहीं पा सकता अर्थात आपकी महिमा को कोई नहीं जान सकता !
भरत ने आपका नाम अपने हृद्य में धारण किया इसलिए उसे युद्ध में कोई हरा नहीं सका !

नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा !
सुमिरत होत शत्रु कर नाशा !!
लखन तुम्हारे आज्ञाकारी !
सदा करत सन्तन रखवारी !!

अर्थ – शत्रुहन के हृदय में भी आपके नाम का प्रकाश था इसलिए तो आपका स्मरण करते ही वे शत्रुओं का नाश कर देते थे !
लक्ष्मण आपके आज्ञाकारी थे जिन्होंनें हमेशा संतों की रखवाली की सुरक्षा की !

ताते रण जीते नहिं कोई !
युद्ध जुरे यमहूं किन होई !!
महालक्ष्मी धर अवतारा !
सब विधि करत पाप को छारा !!

अर्थ – उनसे भी कोई युद्ध नहीं जीत सकता था चाहे युद्ध में स्वयं यमराज क्यों न लड़ रहे हों !
आपके सा -साथ मां महालक्ष्मी ने भी अवतार रुप लेकर हर विधि से पाप का नाश किया !

सीता राम पुनीता गायो !
भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो !!
घट सों प्रकट भई सो आई !
जाको देखत चन्द्र लजाई !!

अर्थ – इसीलिए सीता राम का पवित्र नाम गाया जाता है। मां भुवनेश्वरी अपना प्रभाव दिखाती हैं !
माता सीता ने जब अवतार लिया तो वे घट यानि घड़े से प्रकट हुई इनका रुप इतना सुंदर था कि जिन्हें देखकर चंद्रमा भी शरमा जाए !

जो तुम्हरे नित पांव पलोटत !
नवो निद्धि चरणन में लोटत !!
सिद्धि अठारह मंगलकारी !
सो तुम पर जावै बलिहारी !!

अर्थ – हे प्रभु जो नित्य आपके चरणों को धोता है नौ निधियां उसके चरणों में लौट लगाती हैं !
उसके लिए अठारह सिद्धियां (मार्कंडेय पुराण के अनुसार सिद्धियां आठ होती हैं जबकि ब्रह्मवैवर्त पुराण में अठारह बताई गई हैं) मंगलकारी होती हैं जो आप पर न्यौछावर हैं !

औरहु जो अनेक प्रभुताई !
सो सीतापति तुमहिं बनाई !!
इच्छा ते कोटिन संसारा !
रचत न लागत पल की बारा !!

अर्थ – हे सीता पति भगवान श्री राम, अन्य जितने देवी-देवता हैं, सब आपने ही बनाए हैं !
आपकी इच्छा हो तो आपको करोड़ों संसारों की रचना करने में भी पल भर की देरी न लगे !

जो तुम्हरे चरणन चित लावै !
ताकी मुक्ति अवसि हो जावै॥
सुनहु राम तुम तात हमारे !
तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे !!

अर्थ – जो आपके चरणों में ध्यान लगाता है उसकी मुक्ति अवश्य हो जाती है !
हे श्री राम सुन लिजिये आप ही हमारे पिता हैं, आप ही भारतवर्ष में पूज्य हैं !

तुमहिं देव कुल देव हमारे !
तुम गुरु देव प्राण के प्यारे !!
जो कुछ हो सो तुमहिं राजा !
जय जय जय प्रभु राखो लाजा !!

अर्थ – हे देव आप ही हमारे कुलदेव हैं, हे गुरु देव आप हमें प्राणों से प्यारे हैं !
हे प्रभु श्री राम हमारे जो कुछ भी हैं, सब आप ही हैं, हमारी लाज रखिये, आपकी जय हो प्रभु !

राम आत्मा पोषण हारे !
जय जय जय दशरथ के प्यारे !!
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरुपा !
नर्गुण ब्रहृ अखण्ड अनूपा !!

अर्थ – हे हमारी आत्मा का पोषण करने वाले दशरथ प्यारे भगवान श्री राम, आपकी जय हो !
हे ज्योति स्वरुप प्रभु, आपकी जय हो। आप ही निर्गुण ईश्वर हैं, जो अद्वितीय है, अखंडित है !

सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी !
सत्य सनातन अन्तर्यामी !!
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै !
सो निश्चय चारों फल पावै !!

अर्थ – हे सत्य रुप, सत्य के पालक आप ही सत्य हैं, आपकी जय हो। अनादिकाल से ही आप सत्य हैं, अंतर्यामी हैं !
सच्चे हृदय से जो आपका भजन करता है, उसे चारों फल प्राप्त होते हैं !

सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं !
तुमने भक्तिहिं सब सिधि दीन्हीं !!
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरुपा !
नमो नमो जय जगपति भूपा !!

अर्थ – इसी सत्य की शपथ भगवान शंकर ने की जिससे आपने उन्हें भक्ति के साथ-साथ सब सिद्धियां भी दी !
हे ज्ञान स्वरुप, हमारे हृदय को भी ज्ञान दो, हे जगपति, हे ब्रह्माण्ड के राजा, आपकी जय हो, हम आपको नमन करते हैं !

धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा !
नाम तुम्हार हरत संतापा !!
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया !
बजी दुन्दुभी शंख बजाया !!

अर्थ – आपका प्रताप धन्य है, आप भी धन्य हैं, प्रभु आपका नाम सारे संतापों अर्थात सारे कष्टों का हरण कर लेता है !
आप ही शुद्ध सत्य हैं, जिसे देवताओं ने अपने मुख से गाया था, जिसके बाद शंख की दुंदुभी बजी थी !

सत्य सत्य तुम सत्य सनातन !
तुम ही हो हमरे तन-मन धन !!
याको पाठ करे जो कोई !
ज्ञान प्रकट ताके उर होई !!

अर्थ – अनादिकाल से आप ही सत्य हैं, हे प्रभु आप ही हमारा तन-मन-धन हैं !
जो कोई भी इसका पाठ करता है, उसके हृदय में ज्ञान का प्रकाश होता है, अर्थात उसे सत्य का ज्ञान होता है !

आवागमन मिटै तिहि केरा !
सत्य वचन माने शिव मेरा !!
और आस मन में जो होई !
मनवांछित फल पावे सोई !!

अर्थ – उसका आवागमन मिट जाता है, भगवान शिव भी मेरे इस वचन को सत्य मानते हैं !
यदि और कोई इच्छा उसके मन में होती हैं तो इच्छानुसार फल प्राप्त होते हैं !

तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै !
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै !!
साग पत्र सो भोग लगावै !
सो नर सकल सिद्धता पावै !!

अर्थ – जो कोई भी तीनों काल प्रभु का ध्यान लगाता है। प्रभु को तुलसी दल व फूल अर्पण करता है !
साग पत्र से भोग लगाता है, उसे सारी सिद्धियां प्राप्त होती हैं !

अन्त समय रघुबर पुर जाई !
जहां जन्म हरि भक्त कहाई !!
श्री हरिदास कहै अरु गावै !
सो बैकुण्ठ धाम को पावै !!

अर्थ – अंतिम समय में वह रघुबर पुर अर्थात स्वर्गलोक में गमन करता हैं, जहां पर जन्म लेने से ही जीव हरिभक्त कहलाता है !
श्री हरिदास भी गाते हुए कहते हैं वह बैकुण्ठ धाम को प्राप्त करता है !

दोहा
सात दिवस जो नेम कर,पाठ करे चित लाय !
हरिदास हरि कृपा से,अवसि भक्ति को पाय !!
राम चालीसा जो पढ़े,राम चरण चित लाय !
जो इच्छा मन में करै,सकल सिद्ध हो जाय !!

अर्थ – यदि कोई भी सात दिनों तक नियम पूर्वक ध्यान लगाकर पाठ करता है, तो हरिदास जी कहते हैं कि भगवान विष्णु की कृपा से वह अवश्य ही भक्ति को पा लेता है !
राम के चरणों में ध्यान लगाकर जो कोई भी, इस राम चालीसा को पढ़ता है, वह जो भी मन में इच्छा करता है, वह पूरी होती है !

श्री राम चालीसा लिरिक्स पाठ (Shri Ram Chalisa Paath In Hindi)

चौपाई
श्री रघुबीर भक्त हितकारी !
सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी !!
निशि दिन ध्यान धरै जो कोई !
ता सम भक्त और नहीं होई !!

ध्यान धरें शिवजी मन मांही !
ब्रह्मा, इन्द्र पार नहीं पाहीं !!
दूत तुम्हार वीर हनुमाना !
जासु प्रभाव तिहुं पुर जाना !!

जय, जय, जय रघुनाथ कृपाला !
सदा करो संतन प्रतिपाला !!
तुव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला !
रावण मारि सुरन प्रतिपाला !!

तुम अनाथ के नाथ गोसाईं !
दीनन के हो सदा सहाई !!
ब्रह्मादिक तव पार न पावैं !
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं !!

चारिउ भेद भरत हैं साखी !
तुम भक्तन की लज्जा राखी !!
गुण गावत शारद मन माहीं !
सुरपति ताको पार न पाहिं !!

नाम तुम्हार लेत जो कोई !
ता सम धन्य और नहीं होई !!
राम नाम है अपरम्पारा !
चारिहु वेदन जाहि पुकारा !!

गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो !
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो !!
शेष रटत नित नाम तुम्हारा !
महि को भार शीश पर धारा !!

फूल समान रहत सो भारा !
पावत कोऊ न तुम्हरो पारा !!
भरत नाम तुम्हरो उर धारो !
तासों कबहूं न रण में हारो !!

नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा !
सुमिरत होत शत्रु कर नाशा !!
लखन तुम्हारे आज्ञाकारी !
सदा करत सन्तन रखवारी !!

ताते रण जीते नहिं कोई !
युद्ध जुरे यमहूं किन होई !!
महालक्ष्मी धर अवतारा !
सब विधि करत पाप को छारा !!

सीता राम पुनीता गायो !
भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो !!
घट सों प्रकट भई सो आई !
जाको देखत चन्द्र लजाई !!

जो तुम्हरे नित पांव पलोटत !
नवो निद्धि चरणन में लोटत !!
सिद्धि अठारह मंगलकारी !
सो तुम पर जावै बलिहारी !!

औरहु जो अनेक प्रभुताई !
सो सीतापति तुमहिं बनाई !!
इच्छा ते कोटिन संसारा !
रचत न लागत पल की बारा !!

जो तुम्हरे चरणन चित लावै !
ताकी मुक्ति अवसि हो जावै॥
सुनहु राम तुम तात हमारे !
तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे !!

तुमहिं देव कुल देव हमारे !
तुम गुरु देव प्राण के प्यारे !!
जो कुछ हो सो तुमहिं राजा !
जय जय जय प्रभु राखो लाजा !!

राम आत्मा पोषण हारे !
जय जय जय दशरथ के प्यारे !!
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरुपा !
नर्गुण ब्रहृ अखण्ड अनूपा !!

सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी !
सत्य सनातन अन्तर्यामी !!
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै !
सो निश्चय चारों फल पावै !!

सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं !
तुमने भक्तिहिं सब सिधि दीन्हीं !!
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरुपा !
नमो नमो जय जगपति भूपा !!

धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा !
नाम तुम्हार हरत संतापा !!
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया !
बजी दुन्दुभी शंख बजाया !!

सत्य सत्य तुम सत्य सनातन !
तुम ही हो हमरे तन-मन धन !!
याको पाठ करे जो कोई !
ज्ञान प्रकट ताके उर होई !!

आवागमन मिटै तिहि केरा !
सत्य वचन माने शिव मेरा !!
और आस मन में जो होई !
मनवांछित फल पावे सोई !!

तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै !
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै !!
साग पत्र सो भोग लगावै !
सो नर सकल सिद्धता पावै !!

अन्त समय रघुबर पुर जाई !
जहां जन्म हरि भक्त कहाई !!
श्री हरिदास कहै अरु गावै !
सो बैकुण्ठ धाम को पावै !!

दोहा
सात दिवस जो नेम कर,पाठ करे चित लाय !
हरिदास हरि कृपा से,अवसि भक्ति को पाय !!
राम चालीसा जो पढ़े,राम चरण चित लाय !
जो इच्छा मन में करै,सकल सिद्ध हो जाय !!

श्री राम चालीसा लिरिक्स पढ़ने के फायदे (लाभ) (Shri Ram Chalisa Benefits)

  • श्री राम चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है !
  • श्री राम चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है !
  • श्री राम चालीसा के पाठ से घर परिवार मैं क्लेश से छुटकारा मिलता है !
  • श्री राम चालीसा का पाठ करने से मान- सम्मान मैं वृद्धि होती रहती है !

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