दशरथ के राजकुमार वन में फिरते मारे मारे लिरिक्स

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दशरथ के राजकुमार वन में फिरते मारे मारे लिरिक्स

दशरथ के राजकुमार वन में फिरते मारे मारे,
वन में फिरते मारे मारे, वन में फिरते मारे मारे,
दुनिया के पालनहार वन में फिरते मारे मारे…

थी साथ में जनक दुलारी पत्नी प्राणों से प्यारी,
सीता सतवंती है नार बन में फिरते मारे मारे,
दशरथ के राजकुमार वन में फिरते मारे मारे…

भाई लखन लाल बलशाली उसने तीर कमान उठा ली,
भाई भाभी के पहरेदार वन में फिरते मारे मारे,
दशरथ के राजकुमार वन में फिरते मारे मारे…

सोने का हिरण दिखा था उसमें सीता हरण छिपा था,
लक्ष्मण रेखा हो गई पार में फिरते मारे मारे,
दशरथ के राजकुमार, वन में फिरते मारे मारे…

हनुमान से मिलन हुआ था सुग्रीव भी साथ हुआ था,
वानर सेना हुई तैयार वन में फिरते मारे मारे,
दशरथ के राजकुमार, वन में फिरते मारे मारे…

लक्ष्मण बेहोश हुए थे श्रीराम के होश उड़े थे,
रोए नारायण अवतार वन में फिरते मारे मारे,
दशरथ के राजकुमार, वन में फिरते मारे मारे…

जब दुष्टा चरण हुआ था तो रावण मरण हुआ था,
उसका तोड़ दिया अहंकार वन में फिरते मारे मारे,
दशरथ के राजकुमार, वन में फिरते मारे मारे…

जब राम अयोध्या आए घर-घर में दीप जलाए,
मनी दिवाली पहली बार जब अवध में राम पधारे,
दशरथ के राजकुमार, वन में फिरते मारे मारे…

सखिया सब मंगल गांमें सब देव फूल बरसामें,
घर पर हो रही खुशियां अपार जब अवध में राम पधारे,
दशरथ के राजकुमार, वन में फिरते मारे मारे…

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