अस कछु समुझि परत रघुराया लिरिक्स (As Kuchu Smju Part Raghuraaya Lyrics)
अस कछु समुझि, परत रघुराया,
बिनु तव कृपा दयालु,
दास-हित मोह न छूटै माया…
जैसे कोइ इक दीन दुखित,
अति असन-हीन दुख पावै,
चित्र कलपतरु कामधेनु,
गृह लिखे न बिपति नसावै…
जब लगि नहिं निज हृदि प्रकास,
अरु बिषय-आस मनमाहीं,
तुलसिदास तब लगि जग-जोनि,
भ्रमत सपने हुँ सुख नाहीं…
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