रावण दिल के तुम कितने कठोर निकले लिरिक्स

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रावण दिल के तुम कितने कठोर निकले लिरिक्स

रावण दिल के तुम कितने कठोर निकले,
सीता चोरी चोरी लाए बड़े चोर निकले…

मैंने सोचा था योद्धा जमाने में,
लाज आई ना सीता चुराने में,
वीरताई में कितने कमजोर निकले,
सीता चोरी चोरी लाए बड़े चोर निकले…

जब से लंका में सीता को लाए पिया,
तब से बिगडी के सपने दिखे हैं पिया,
लगी लंका में आग मोरा जिया धड़के,
सीता चोरी चोरी लाए बड़े चोर निकले…

कह मंदोदरी यूं दशानन से,
पार पाओ ना तुम राम रघुवर से,
राम लड़ने को लंका की ओर निकले,
सीता चोरी चोरी लाइव बड़े चोर निकले…

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