राम क्यों भेज दिए वन में लिरिक्स
भरत जी रोवे महलन में,
राम क्यों भेज दिए वन में,
भरत जी रोवे महलन में,
राम क्यों भेज दिए वन में…
बड़ी हठीली हठ कर बैठी,
माता कौशल्या की एक ना मानी,
उर्मिला एकली महलन में,
राम, क्यों भेज दिये वन में…
यहां महल वहां नहीं है मढैया,
सिया जानकी संग दोनों भैया,
भीगत होंगे बारिश में,
राम, क्यों भेज दिये वन में…
तेने कैकई जुलम गुजारा,
अपना पद देने आप गमाया,
खटक रही सबकी नजरन में,
राम, क्यों भेज दिये वन में…
भरत जी रोवे महलन में,
राम, क्यों भेज दिये वन में,
राजपाट मोहे ना चाहिये माता,
चाहिये राम लखन से भ्राता,
भाभी क्या सोच होगी मन में,
राम, क्यों भेज दिये वन में…
भरत जी रोवे महलन में,
राम, क्यों भेज दिये वन में,
भरत जी रोवे महलन में,
राम, क्यों भेज दिये वन में…
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