ना मारी मैनु माँ कोख विच ना मारी लिरिक्स
ना मारी मैनु माँ कोख विच ना मारी,
नी मैं तेरे वरगी हाँ, कोख विच ना मारी,
ना मारी मैनु माँ…
तु जे किसे दी धी ना हुंदी, माँ फेर कदे कहाऊँदी ना,
पढ़ लिख के विव्दान ना हुंदी, जे ओ लाड़ लडांदी ना,
नितु बौडा वरगी छां, कोख विच ना मारी,
ना मारी मैनु माँ…
सिता राधा सावित्री दानी, कोई ना कर्ज चुका सकेया,
रानी झांसी नु माऐ क्यों ना कोई भुला सकेया,
होया जग विच ऊचा नां, कोख विच ना मारी,
ना मारी मैनु माँ…
मै मर गई फेर विरे नु रखडी किदा बंधाऐगी,
माँ दी पुजा करन वालिऐ कंजका किदा बिठाऐंगी,
धीआं नाल ने सब रौनकां, कोख विच ना मारी,
ना मारी मैनु माँ…
नी मैं कोख विच रह के वि भला ही सब तो मंगदी रही,
जुग जुग जिवन मेरे माँ पे चंचल रब तो मंगदी रही,
तेरा वसदा रहे जहां, कोख विच ना मारी,
ना मारी मैनु माँ…
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