कभी न बिसरू राम को लिरिक्स (Kabhi Na Bisru Ram Ko Lyrics)
कभी न बिसरूं राम को चाहे दुनिया बिसरी जाए,
सब अर्पण उस नाम को भाव सागर पार लगाये,
दुनिया बिसरी जाए…
वो ही सांचा मीत हे, वो ही तारन हार,
इस जग में हे कुछ नहीं, झूठा सब व्यवहार…
चिर संगी मेरा राम हे, वो ही प्रीत जगाये,
दुनिया बिसरी जाए कभी न बिसरूं राम को चाहे,
दुनिया बिसरी जाए…
सहज भजू हरी नाम को, तजूं जगत तो स्नेह,
अपना कोई हे नहीं, अपनी सगी न देह…
सब कुछ दीन्हा, राम ने अंतर अलख जगाये,
दुनिया बिसरी जाए,
कभी न बिसरूं राम को चाहे…
तू ही दाता तू ही खिव्वैया, और कहीं क्यूँ जाऊं,
तेरे चरण ही मथुरा काशी तु, झको सीस नवाऊ…
तेरा दर्शन करके भगवन जनम मरण मिट जाए,
दुनिया बिसरी जाए कभी न बिसरूं राम को चाहे,
दुनिया बिसरी जाए, दुनिया बिसरी जाए…
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