जन्मों से भटकी हुई नाव को लिरिक्स | Janmon Se Bhatki Hui Naav Ko Lyrics

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जन्मों से भटकी हुई नाव को लिरिक्स (Janmon Se Bhatki Hui Naav Ko Lyrics)

जन्मों से भटकी हुई नाव को आज किनारा मिल गया,
राम मेरे मुझ पापी को भी तेरा सहारा मिल गया,
जन्मों से भटकी हुई नाव को आज किनारा मिल गया…

उल्जा हुआ था मैं माया के जंगल में तुम ने बचाया मुझे,
श्रधा सबुरी का वरदान दे कर जीना सिखाया मुझे,
तेरी किरपा से गंगा के जल में पानी ये खारा मिल गया,
जन्मों से, भटकी हुई नाव को आज किनारा मिल गया…

केहने को तो चल रही थी ये सांसे बे जान थी आत्मा,
हां मेरे पापो का जन्मो के शापों का तुमने किया खात्मा,
तुमने छुआ तो तुमहरा हुआ तो जीवन दोबरा मिल गया,
जन्मो से, भटकी हुई नाव को आज किनारा मिल गया…

ना जाने कितने जन्म और जलता तृष्णा की इस आग में,
काले सवेरे थे लिखे अँधेरे थे श्याद मेरे भाग में,
तुम आये ऐसे अंध्रो में जैसे कोई सितारा मिल गया,
जन्मो से, भटकी हुई नाव को आज किनारा मिल गया…

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