जय श्री राम हरे स्वामी जय सिय राम हरे लिरिक्स (Jai Shri Ram Hare Swami Jai Siya Ram Lyrics)
जय श्री राम हरे स्वामी जय सिय राम हरे,
भक्त जनन दुख भंजन कृपा निधान हरे…
क्रीट मुकुट सिर शोभित भाल तिलक सोहे,
कमल नयन छवि सुंदर त्रिभुवन मन मोहे…
वाम भाग सिय शोभित आदि शक्ति माता,
दाहिन लखन विराजत संग भरत भ्राता…
उर बनमाल विराजत कर धनु शर धारी,
भक्त जनन सुखदाता जग मंगल कारी…
अवधपुरी प्रभु प्रकटे लीला अमित करी,
संत जनन सुख दीन्हा धरणी भार हरी…
तरी अहल्या नारी पदरज छुअत हरी,
केवट चरण पखारयो तारयो कृपा करी…
जनकराज प्रण राख्यो भंजेउ धनु भारी,
क्रोध हरयो भृगुपति का प्रभु महिमा न्यारी…
प्रणतपाल करुणानिधि दीनन हितकारी,
करुणासिंधु दयानिधि संतन सुखकारी…
बालि त्रषित सुग्रीवहिं ताहि शरण लीन्हा,
रावण त्रषित विभीषण लंकापति कीन्हा…
दशरथ अजिर बिहारी भक्तन सुखकारी,
हनुमत हृदय विहारी सेवित कामारी…
अवध दास प्रभु तुम्हरो भवनिधि मध्य परो,
कृपा करो करुणानिधि चाहो तो पार करो…
आरति श्री सियबर की जो जन नित गावे,
होय कृपा रघुवर की सुख सद्गति पावे…
जय श्री राम हरे स्वामी जय सिय राम हरे,
भक्त जनन दुख भंजन कृपा निधान हरे…
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