रोम रोम में बसा हुआ है लिरिक्स (Rom Rom Mein Basa Hua Hai Lyrics)
रोम रोम में बसा हुआ है एक उसी का नाम,
तू जपले राम राम राम, तू भजले राम राम राम,
रोम रोम में बसा हुआ हैं…
लोभ और अभिमान छोड़िए, छोड़ जगत की माया,
मन की आँखे खोल देख, कण कण में वही समाया,
जहाँ झुकाए सर तू अपना, वही पे उनका धाम,
तू जपले राम राम राम, तू भजले राम राम राम,
रोम रोम में बसा..
ये मत सोच जहाँ मंदिर है, वही पे दीप जलेंगे,
जहाँ पुकारेगा तू उनको, वही पे राम मिलेंगे,
दर दर भटक रहा क्यों प्राणी, उन्ही का दामन थाम,
तू जपले राम राम राम, तू भजले राम राम राम,
रोम रोम में बसा…
ये संसार के नर और नारी, देवी देवता सारे,
नहीं चला है कोई यहाँ पे, उनके बिना इशारे,
वो चाहे सूरज निकले, वो चाहे तो ढलती शाम,
तू जपले राम राम राम, तू भजले राम राम राम,
रोम रोम में, बसा…
रोम रोम में, बसा हुआ है एक उसी का नाम,
तू जपले राम राम राम, तू भजले राम राम राम…
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