कावड़िया ले चल गंग की धार लिरिक्स (Kavadiya Le Chal Gang Ki Dhar Lyrics)
दोहा –
भस्म रमाए बैठे है शंकर
सज धज के दरबार,
कावड़िया ले आओ,
कावड़ राह तके सरकार…
कावड़िया ले चल गंग की धार,
जहा बिराजे भोले दानी,
करके अनोखा श्रृंगार,
कावड़िया ले चल, गंग की धार…
अंग भभुति रमाए हुऐ है,
माथे चंद्र सजाए हुए है,
भंग तरंग में रहने वाले,
मस्त मलंग वो रहने वाले,
मेरे महांकल सरकार,
कावड़िया, ले चल…
शंभू तेरे दर आए है,
कावड़िया कावड़ लाए है,
जपते हर हर बम बम भोले,
झूम झूम मस्ती में डोले,
करते जय जय कार,
कावड़िया, ले चल…
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