श्री शिव रुद्राष्टकम अर्थ सहित
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपं ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहं !!
अर्थ – हे मोक्ष स्वरुप, ईशान दिशा के ईश्वर तथा सब के स्वामी श्री शिव जी, मैं आपको नमस्कार करता हूँ। निजस्वरूप में स्थित, गुणों से रहित, भेदरहित, इच्छारहित, चेतन आकाश एवं आकाश को ही वस्त्र के रूप में धारण करने वाले दिगंबर आपको मैं प्रणाम करता हूँ !
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं
गिरा ग्यान गोतीतमीशं गिरीशं ।
करालं महाकाल कालं कृपालं
गुणागार संसारपारं नतोऽहं !!
अर्थ – जो निराकार हैं, ओंकाररूप आदिकारण हैं, तुरीय हैं, वाणी, बुद्धि और इन्द्रियों (तीनो गुणों से अतीत) के पथ से परे हैं, कैलासनाथ हैं, विकराल और महाकाल के भी काल, कृपाल, गुणों के आगार और संसार से तारने वाले हैं, उन भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ !!
तुषाराद्रि सङ्काश गौरं गभीरं
मनोभूत कोटि प्रभा श्रीशरीरं ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गंगा
लसद्भालबालेन्दु कंठे भुजंगा !!
अर्थ – जो हिमालय के समान श्वेतवर्ण, गम्भीर और करोड़ों कामदेवों के समान कान्तिमान शरीर वाले हैं, जिनके मस्तक पर मनोहर गंगाजी लहरा रही हैं, भाल पर बाल-चन्द्रमा सुशोभित होते हैं और गले में सर्पों की माला शोभा देती है !
चलत्कुंडलं भ्रू सुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकंठं दयालं ।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुंडमालं
प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि !!
अर्थ – जिनके कानों में कुण्डल हिल रहे हैं, सुन्दर भ्रुकुटी और विशाल नेत्र हैं; जो प्रसन्नमुख, नीलकंठ, और दयालु हैं; सिंहचर्म का वस्त्र धारण किये और मुण्ड माला पहने हुए हैं; उन, सबके प्यारे और सबके नाथ श्री शंकर जी का मैं भजन करता हूँ !
प्रचंडं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखंडं अजं भानुकोटिप्रकाशं ।
त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं
भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यं !!
अर्थ – जो प्रचण्ड, सर्वश्रेष्ठ, प्रगल्भ, परमेश्वर, पूर्ण, अजन्मा, कोटि सूर्य के समान प्रकाशमान, त्रिभुवन के शूलनाशक और हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले हैं, उन भावगम्य भवानीपति का मैं भजन करता हूँ !
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।
चिदानंद संदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी !!
अर्थ – कलाओं से परे, कल्याणस्वरूप, कल्प का अंत ( प्रलय ) करने वाल, सज्जनों को सदा आनंद देने वाले, त्रिपुर के सच्चिदानन्दघन, मोह को हरने वाले, मन को मथने वाले कामदेव के शत्रु हे प्रभो, प्रसन्न होईये, प्रसन्न होईये !
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं
भजंतीह लोके परे वा नराणां ।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं !!
अर्थ – मनुष्य जब तक उमाकान्त महादेव जी के चरणारविन्दों का भजन नहीं करते, उन्हें इहलोक या परलोक में कभी सुख तथा शान्ति की प्राप्ति नहीं होती और न उनका सन्ताप ही दूर होता है। हे समस्त भूतों के निवास स्थान भगवान शिव ! आप मुझ पर प्रसन्न हों !
न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोऽहं सदा सर्वदा शंभु तुभ्यं ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो !!
अर्थ – मैं न तो योग जानता हूँ, न ही जप और न पूजा ही। हे शम्भो मैं तो सदा सर्वदा आपको ही नमस्कार करता हूँ। हे प्रभो ! बुढ़ापा और जन्म-मृत्यु के दुःख समूहों से जलते हुए मुझ दुखी की दुखों से रक्षा कीजिये ! हे शम्भो मैं आपको नमस्कार करता हूँ !
रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति !!
अर्थ – जो मनुष्य भगवान शंकर की तुष्टि के लिये ब्राह्मण द्वारा कहे हुए इस रुद्राष्टक का भक्तिपूर्वक पाठ करते हैं, उन पर भगवान शम्भू प्रसन्न होते हैं !!
Shiv Rudrashtakam Lyrics in English
Namami Shamishan Nirvan Roopam
Vibhum Vyapakam Brahma Veda Swaroopam |
Nijam Nirgunam Nirvikalpam Nireeham
Chidakaash Maakash Vaasam Bhajeham !!
Nirakaar Omkar Moolam Turiyam
Giragyaan Goteet Meesham Girisham |
Karaalam Mahakaal Kaalam Kripalam
Gunagaar Sansaar Paaram Naatoham !!
Tusharaadri Sankaash Gauram Gabheeram
Manobhoot Koti Prabha Shi Shareeram |
Sfooranmauli Kallolini Charu Ganga
Lasadbhaal Baalendu Kanthe Bhujanga !!
Chalatkundalam Bhru Sunethram Vishaalam
Prasannananam Neelkantham Dayalam |
Mrigadheesh Charmaambaram Mundamaalam
Priyam Shankaram Sarvanaatham Bhajaami !!
Prachandam Prakrishtam Pragalbham Paresham
Akhandam Ajambhaanukoti Prakaasham |
Trayahshool Nirmoolanam Shoolpaanim
Bhajeham Bhawani Patim Bhaav Gamyam !!
Kalateet Kalyaan Kalpantkaari
Sada Sajjanaanand Daata Purari |
Chidaanand Sandoh Mohapahari
Praseed Praseed Prabho Manmathari !!
Nayaavad Umanath Paadaravindam
Bhajanteeha Lokey Parewa Naraanaam |
Na Tawatsukham Shaantisantapnaasham
Praseed Prabho Sarvabhootadhivaasam !!
Na Jaanaami Yogam Japam Naiva Poojaam
Na Toham Sada Sarvada Shambhu Tubhhyam |
Jarajanm Dukhhaudya Taapatyamaanam
Prabho Paahi Aapan Namaami Shri Shambho !!
Rudrashtakamidam Proktam Vipren Hartoshaye |
Ye Pathanti Naraa Bhaktaya Teyshaam Shambhu Praseedati !!
शिव रुद्राष्टकम के लाभ (Shiv Rudrashtakam Lyrics Benefits in Hindi)
- शिव रुद्राष्टकम के पाठ से भगवान शिव हमेशा प्रसन्न रहते हैं !
- शिव रुद्राष्टकम पाठ करने से जीवन आनंदमय बना रहता है !
- इस मंत्र के पाठ से व्यक्ति का मनोबल बढ़ता है !
- इस मंत्र के पाठ से सौभाग्य में वृद्धि होती है !
- इस मंत्र के पाठ शिव मंदिर या घर में भगवान शिव की मूर्ति के समक्ष बैठकर करना चाहिए !
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